सोलन (महामीडिया) टेटनस का एक टीका अब बच्चों में इस बीमारी को भी रोकेगा। दो से 10 साल तक के बच्चों को होनी वाली गलघोंटू बीमारी अब टेटनस के एक इंजेक्शन से ही ठीक हो जाएगी। देश का सरकारी क्षेत्र में इकलौता केंद्रीय अनुसंधान संस्थान कसौली कटने-छिलने और गलघोंटू बीमारी के लिए एक ही टीडी टीका बना रहा है। इसे टेटनस कम अडल्ट डिप्थीरिया वैक्सीन नाम दिया गया है। संस्थान में टेटनस का टीका पहले से ही बनाया जा रहा है लेकिन अब इससे गलघोंटू बीमारी को भी रोका जा सकेगा। इस वैक्सीन के पहले ट्रायल बैच निकाले जाएंगे। उसके बाद जानवरों को टीकाकरण कर इसकी सफलता देखी जाएगी। व्यावसायिक बैच निकालने से पहले ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यदि क्लीनिकल ट्रायल में छूट देता है तो इस साल के अंत तक वैक्सीन बाजार में उतारी जाएगी। यदि छूट न मिली तो एक साल का समय और लग सकता है। किसी औजार से कटने या छिलने पर टेटनस का टीका लगाना जरूरी होता है। गलघोंटू रोग के लिए डिप्थीरिया का टीका लगता है। गलघाेंटू एक संक्रामक रोग है जो 2 से 10 साल तक बच्चों को अधिक होता है। हालांकि, सभी आयु वर्ग के लोगों को यह रोग हो सकता है। यह रोग प्राय: गले में होता है और टॉन्सिल भी होते हैं। इसके बैक्टीरिया टॉन्सिल व श्वास नली को सबसे ज्यादा संक्रमित करते हैं। सांस लेने में दिक्कत, गर्दन में सूजन, बुखार, खांसी आदि इसके लक्षण है। संस्थान में अब टेटनस कम अडल्ट डिप्थीरिया वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया चल रही है। टीडी वैक्सीन कटने-छिलने के घावों सहित गलघोंटू व गले के अन्य रोगों के उपचार में लाभकारी सिद्ध होगी।