जो इंसान ध्वनि की संपूर्णता का अनुभव नहीं कर पाता, उसके लिए हर ध्वनि एक शोर है, क्योंकि वह उसे टुकड़ों में सुनता है। जो अस्तित्व की संपूर्णता को सुनता है, उसके लिए सब कुछ संगीत है। ऐसा कुछ भी नहीं है, जो संगीत न हो। सद्गुरुसद्गुरु: योग के एक आयाम में, मनुष्य के शरीर को ?शिव का डमरू? कहा गया है। शिव के हाथ में हमेशा एक डमरू होता है, क्योंकि वह जीवन की ल
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